LIC’S EMPLOYER EMPLOYEE SCHEME is a Welfare Scheme to take care of Employees & retain them.LIC’S EES Scheme, It’s a Time to Reward Employees. LIC’S EMPLOYER EMPLOYEE SCHEME IS A BONANZA FOR CORPORATE SECTOR! When person dies there will be a three deaths. Husbands dies, Father dies, and Income dies. First two are not replaceable but third one can be safeguarded. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो तीन की मृत्यु होती है. पति, पिता और आय. पहले दो को वापस नहीं लाया जा सकता है.लेकिन तीसरे को हम लाइफ इन्सुरंस से सुरक्षित कर सकते है.

4- C Concept

4-C CONCEPT
हमारा जॉब क्या है
हम से लोगो की उम्मीदे क्या है ?
क्या हम वैसे ही कार्य कर रहे है..., जैसे  लोगो की हम से उम्मीदे होती है ?
क्या हम अपने जॉब को सही मायने में समझे है ?
क्या हम  अपने इस व्यवसाय से सही न्याय कर रहे है?

इन सवालो के जवाब ढूंढे बगैर इस व्यवसाय में और आगे बढ़ना बेमतलब  होगा  !
हम अपने आप को बीमा सलाहकार कहलाते है .
लोगों को उनके परिवार के भविष्य के बारें में योजनाए बतातें है 

लेकिन क्या हम सही सलाह देने के लिए खुद TRAINED है?
क्या हम सलाह देने में माहिर है ?
पहले इन बातों को समझना बहुत जरुरी है.  

यदि हमें लोगों को सही तरीके से बीमे का महत्व समझाना है तो, 
इसके लिए  4-C Concept एक बहुत बढ़िया टूल है. इसे समझना जरुरी है . 


नोट:- इस लेख को आपने बहुत ही शांति से और मन से पढ़िए . एक एक शब्द को समझने की कोशिश करीए . 
जब तक आप समझ न जाए आगे न बढे. इस लेख को आपने बार बार पढना चाहिए. 
ताकि आप अपना, खुद का एक तरीका बना पाए कि कैसे आप क्लाएंट से बात करे. 

तो चलिए 4-C Concept  की यात्रा शुरू करते है .

4-C CONCEPT बेहतर जिंदगी जीने का तरीका बताता है .
4-C CONCEPT सुकून की जिंदगी जीने की राह बताता है. 
4-C CONCEPT मतलब इन्सान के जनम से 
लेकर अंत तक की कहानी सुनाता है. 
जिस इन्सान को ये कहानी समझ गयी, 
समझो उसकी जिंदगी सफल हो गयी .
और जिस अभिकर्ता को 4-C CONCEPT, प्रोस्पेक्ट या क्लाएंट को समझाने आ गया,
उस अभिकर्ता की  जिंदगी समझो सफल हो गयी! 

तो चलो शुरू करते है सफ़र 4-C CONCEPT का...

दोस्तों मैं नीचे दिए हुए कुछ शब्दों द्वारा और कुछ चित्रों द्वारा आपको   4-C CONCEPT समझाने की कोशिश करता हूँ  .


Journey of human life !
जीवन चक्र 

जर्नी ऑफ़  ह्यूमन लाइफ में हमने इन्सान के जिंदगी के सफ़र के ६ भाग किये है . इन ६ भागों में इन्सान क्या करता है , 
कैसे जिंदगी बिताता है इसका वर्णन किया  है .  नीचे दिए चित्र का  आपको  ठीक  से अध्ययन करना है. 
इस चित्र में इन्सान के बचपन से लेकर बुढ़ापे तक की कहानी बताई है. 


My First Salary Cheque
मेरी पहली पहली कमाई
इन्सान का बचपन खेलकूद में जाता है, जैसे जैसे थोडा बड़ा होता है तो पढाई का दौर चलता है. और फिर पढाई पूर्ण होने पर जॉब शुरू करता है. 
बिझनेस या फिर नौकरी. पैसे कमाता है. मतलब कमाई करना शुरू करता है. इन्सान पहली बार तब खुश होता है, 
जब वह अपनी पहली कमाई कमाता है. उसकी ख़ुशी सातवे आसमान पर होती है. 
तो चलो हो जाए पार्टी, दोस्तों के साथ ,रिश्तेदारों के साथ मौजमस्ती. ऐसे ही होता है ना? 
 इन्सान की  कमाई को ही हम इस कांसेप्ट में  क्रियेशन ऑफ़ इनकम ( 1st C) कहते है . 

क्रियेशन ऑफ़ इनकम ( 1st C)
इधर कमाई शुरू हुई और उधर खर्चा भी शुरू हो गया . 
इन्सान अपनी जरूरतों के अनुसार अपनी कमाई ज्यादा तर हिस्सा खर्च कर देता . 
कभी अपने खातिर तो कभी अपनों के लिए . 
कभी कभी तो जरुरत न होने पर भी पैसा खर्च कर देता है. 
इसे हम फालतू खर्च भी  कह सकते है.
हम जो खर्च करते इसे हम Consumption of Income ( 2nd C ) कहते है .

Consumption of Income ( 2nd C )
As soon as the income starts, 
Spending starts too…
Party, entertainment, shopping, new bike, etc.
Spendings- we call it as 2nd C-
The Consumption of Income

कमाया हुआ पैसा खर्च करने के बाद....
 महीने के आखिर में यदि कुछ पैसा बच  जाता है तो
उसे हम  भविष्य के खातिर जमा  कर लेते है. 
After expenses if some money left then that money can be saved for future
 which is called as  4th C-Conservation of Income जमापूंजी 



4th C-Conservation of Income जमापूंजी


 This Income  can be used for Unexpected expenses like Child Education, Daughters Marriage,
 Saving for retirement life, medical expenses, gifts for grandchild etc, etc.

और फिर साधारण इन्सान का पैसों के मामले में कुछ इस तरह का फ़ॉर्मूला बन जाता है 

 INCOME – EXPENSES = SAVING

SALARY=Creation of Income
EXPENSES=Consumption of Income
SAVING=Conservation of Income



मुझे लगता है आपको यहाँ तक तो बात समझ आ गयी होगी.
अभी जरा नीचे दी हुई इमेज का भी अध्ययन कर लो 

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At End of Month
महीने के आखरी दिन 

No Money Left

    हम जब हमारी कमाई महीने भर खर्च करते है तो..
 कभी कभी महीने के आखिर में पैसे ख़तम हो जाते है
और  ज्यादा तर महीने के आखिर में हमारी जेब खाली हो जाती है.
 हमें सैलरी का इंतजार करना पड़ता है 
मतलब हमने जितना कमाया उतना सब खर्च कर डाला.
मतलब INCOME = EXPENSES
INCOME – EXPENSES = ZERO SAVING 




जैसे जैसे जिंदगी आगे बढती है वैसेही हमारी जिम्मेदारियाँ  भी बढती जाती है. 
जब शादी हो जाती है तो खर्चा और भी  बढ़ जाता है . 
सही माने तो अब खर्चा बहुत तेजी से बढ़ने लगता  है .




जब घर में नया मेहमान आता है तो रौनक फ़ैल जाती है . खर्च का सिलसिला बढ़ते ही जाता है .






हर साल हैपी बर्थ डे पार्टी 



हर साल हैपी मैरेज एनिवर्सरी खर्च का सिलसिला बढ़ते ही जाता है 



थोड़ी और जिंदगी आगे बढती है तो बच्चों के पढाई का खर्च भी जुड़ जाता है. और हम बड़े जिम्मेदारी के साथ अपना कर्तव्य निभाते चले जाते है.





जिम्मेदारीयां निभाना हम हमारा कर्तव्य समझते है
कभी कभी हालात ऐसे हो जाते है कि हमारी कमाई कम पड़ने लगती है और खर्च बढ़ जाता है . 
इस समस्या का समाधान हम क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन से सुलझाने के कोशिश करने लगते है. 
देखा जायेगा.... कल की कल 
यही सोच हमें परेशानी में ढकेलती है 
      


क्रेडिट कार्ड , पर्सनल लोन , उधारी , हाउसिंग लोन, 
इएमआइ पर कार, बाइक, TV, फ्रिज ये चीजे खरीदने से इन्सान कर्ज के तले दब जाता है. 
कर्ज के बोझ तले दबा इन्सान 
मतलब INCOME < EXPENSES
INCOME – EXPENSES =  कर्ज 


ऐसे में घर में टेंशन का  माहोल बन  जाता है .
 पति पत्नी  के दरम्यान झगडे होने लगते है. 
तो आनंद और खुशियों से जिंदगी शुरू करनेवाला इन्सान...
 अपने ही  फालतू खर्च की वजह  से परेशान हो जाता . 

तुमने ही तो कहा था क़िस्त पर TV लेने को 
और तुम्हे बाइक किसने खरीदने कहा था 
अभी कल जाकर कुछ आफत आ गयी तो कहा जायेंगे 
किसके सामने हाथ फैलाऊंगा मै 


     
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क्या इसका कोई इलाज है ?
जी हाँ बिलकुल है.
जरा सोच समझकर पैसों का इस्तेमाल करना ही इसका एक मात्र उपाय है .
यहाँ हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि..
 हम पैसों का सही इस्तेमाल नहीं करने से
अपने परिवार बहुत बड़े संकट में डालते है


हम कमाते है अपने परिवार की खुशियों  के लिए
बच्चो कि सही परवरिश के लिए
बच्चो कि शिक्षा के लिए
बिटियाँ की शादी के लिए
मातापिता की सेवा के लिए
हमारे परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए



जरा सोचो......
 हम है तो हमारा परिवार है
जिसे हम दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते है
हमारी परिवार की खुशियों के लिए हम कड़ी मेहनत करते है
हमारी परिवार की खुशियों ग्रहण लग सकता है.......
 यदि हम पैसों का सही इस्तेमाल न करे तो

जरा सोचो यदि किसी कारण हमारी इनकम बंद हो गयी तो 
तो क्या होगा ?
बहुत ही डरावना प्रश्न है 


कौन सी ऐसी बातें है जिसकी वजह से हमारी इनकम बंद हो सकती है

1
 हम काम से रिटायर्ड हो गए तो

हम कमाई करने के लायक नहीं रहे तो मतलब अपंग हो गए तो 

या फिर हमें अचानक उपरवाले का बुलावा आये तो



यदि इन तीन घटनाओं में से कोई भी एक घटना घटित होती है तो क्या होगा ?

हमारी परिवार की खुशियों का क्या होगा ?
हमारे बच्चों के परवरिश क्या होगा ?
हमारे बच्चो की पढाई का क्या होगा ?
हमारी बिटिया की शादी का क्या होगा ?
हमारे पत्नी के रिटायर्मेंट लाइफ का क्या होगा ?
कहा जायेंगे ?
किसके सामने हाथ फैलायेंगे?

ये बहुत ही गंभीर बात है. ऐसी बातों को हम सोचना भी पसंद नहीं करते 

To understand about 3rd
we must know three eventualities in our life 
because of which our creation of income may stop.

So these 3 eventualities are ….

1.   Retirement
2.   Disability
3.   Death 

1.Retirement


During retirement, income stops...
 but expenses are continued. 
Money is required for living a respectful retirement life. 
Medical expenses, traveling expenses and
 gift to grandchild are the common expenses.

2.Disability

If we face disability …
Income stops but
Your’s & Family Expenses are continued


3.Death

If death occurs then
Income stops but
Family expenses are continued. 

    

1.   Retirement
2.   Disability
3.   Death 

ये जो  तीन बातें है जो  हमारी इनकम बंद करा सकती है 
जिनके बारें में हम सोचना भी पसंद नहीं करते  !
लेकिन यही सच्चाई है  और  इस सच्चाई को झुटला नहीं सकते 
इसलिए ये बात हमें सोचने पर मजबूर करती है .

लेकिन क्या इसका कोई हल है ?
जी हाँ बिलकुल  है ! 

इसके पहले कि हम इसका हल ढूंढे...
 हमें थोडा पूर्वजों के बारें  में  सोचना होगा 
 
हमारे पूर्वज संयुक्त परिवार सिस्टम में विश्वास रखते थे, 
इसलिए उन्हें बहुत सारी  समस्याओं का हल अपने ही परिवार में मिल जाता था 

संयुक्त परिवार का लाभ Advantages of Joint family 
संयुक्त परिवार के कुछ फायदे हैं
समस्याओं में सहायक Support in problems
संयुक्त परिवार हमेशा परिवार के प्रत्येक सदस्य का समर्थन करता है जब भी कोई समस्या सामने आती है,शायद ही कोई अन्य लोग हमारी मदद करते हैं, लेकिन परिवार हमेशा एक दूसरे का साथ देता है।
त्योहारों का आनंद Enjoy festivals together
जब परिवार एक साथ रहता है तो हर त्यौहार की खुशी अलग ही होती है और सभी एक साथ बहुत खुश होते हैं, जैसे होलीदीवाली आदि त्योहारों के समय लोगों को बहुत अच्छा लगता है जब वे एक साथ मिलकर जीवन के हर पल हर समय साथ बिताते हैं।
आपसी समायोजन Mutual adjustment
परिवार के प्रत्येक सदस्य में आपसी समझ और समायोजन होता है। स्वाभाविक रूप से जो एक दूसरे की उदारता से लाभान्वित होते हैं और उनके आभारी होते हैं।


       



एकल परिवार 
एकल परिवार सिस्टम  में सबसे बड़ा नुकसान यही है कि परिवार की अखंडता और एकता पर 
बहुत गहरा प्रहार होता है 
माता पिता बड़े शौक से अपने बच्चों की पालन पोषण और अच्छी शिक्षा का प्रबंध करते है कि  
उनके बुढ़ापे में सहारा देंगे .
लेकिन होता बिलकुल उल्टा है .
बच्चे काबिल बनने के बाद अपने माँ बाप के बलिदानों प्रेम की परवाह किये बगैर 
अपनी एक नयी दुनिया बसा लेते है .
एक दूसरे से दूर रहने की वजह से पारिवारिक सदस्यों में आपसी मेलजोल की भावना कम होने लगती है .
और धीरे धीरे वह अपने परिवार से कट जाते है.
फलस्वरूप उन्हें अपने सबंधियों के सुख दुःख से कोई वास्ता नहीं रहता .
पहले जो त्यौहार पूरा परिवार हर्ष और उल्हास से  से मनाया करते थे,
आज वही त्यौहार अलग थलग रहकर अनबन ढंग से मनाया जाने लगा है .
मनुष्य ने ख़ुशी और गम के सभी रास्ते,
 जो उसके परिवार के सदस्य तक पहुचते थे 
खुद ही बंद कर दिए है 
जिसके कारण अब हर परिस्थिति का सामना अकेले ही करना पड़ता है 




    


ऐसे में जब हम एकल परिवार सिस्टम में रहते है तो 
हमें और जरा सावधान पूर्वक जीना चाहिए 

इसलिए हम जो पैसा कमाते है  उसे अनबन ढंग से खर्च करने के बजाए 
जरा सोच समझकर, सही ढंग से  खर्च किया तो हमारा प्रॉब्लम सॉल्व हो सकता है .
हमें अपने खर्च और बचत का नियम बनाना चाहिए 
 हमें ऐसी कोई व्यवस्था करनी चाहिए ताकि1.   Retirement 2.   Disability 3.   Death  इन तीनों संकटों से हम डटकर मुकाबला कर सके 

चाहे कुछ भी हो जाए, हमें किसी भी परिस्थिति का सामना करना पड़ें
हमारे फॅमिली के लिए आनेवाला इनकम कभी भी बंद न हो
ताकि हमारे  परिवार को इन परिस्थितियों में भी किसी के सामने हाथ  न फ़ैलाने पड़े
या फिर जीने के लिए अडजस्ट न करने पड़े
हमारे बच्चों को पढाई न छोडनी पड़े
हमारी बिटिया की शादी बड़ी धूमधाम से हो
ये तभी मुमकिन हो सकता है

जब हम पैसा खर्च करने  का फ़ॉर्मूला जरा बदल दे
 INCOME – EXPENSES = SAVING ये गलत फ़ॉर्मूला है.
 इस फ़ॉर्मूले से हम 
ये फ़ॉर्मूले पर शिफ्ट हो जाना चाहिए  INCOME – SAVING= EXPENSE 


हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सेविंग को महत्व देना चाहिए 
और इस सेविंग की मदद से, इस सेविंग का हम सही इस्तेमाल करके 
 हम हमारे परिवार का भविष्य १०० % सिक्योर्ड कर सकते है

इसे ही हम 3rd C ( CONTINUATION OF INCOME ) कहते है



3rd C का कार्य  
2nd C- The Consumption of Income और
 4th C-Conservation of Income जमापूंजी 
इन दोनों पर कंट्रोल करना ताकि क्रियेशन ऑफ़  इनकम अबाधित रहे 


4th C Conservation of Income पैसों की बचत 

2nd C Consumption of Income खर्च 

जानिए कैसे ?
इस सेविंग से हमें अपने मानवी जीवन मूल्य( Human Life Value ) के बराबर लाइफ इन्सुरंस लेना चाहिए 
ताकि यदि हमारे साथ कोई अप्रिय घटना  हुई तो 
हमारे आश्रित जो हमारे कमाई पर निर्भर होते है 
उन्हें एल आय सी की ओर से इतनी धनराशी मिले कि
उन्हें जीने का सहारा बन जाए 

या फिर हमारे रिटायर्मेंट के बाद हमें ये राशी मिले ताकि 
बुढ़ापे में हमें लाचारी की जिंदगी न जीना पड़े 
हम हमारी वृद्ध अवस्था में भी शान से जिए 


इस तरह की व्यवस्था यदि हमने की तो
 हम शान और सुकून की जिंदगी जी सकते है 
यही सही तरीका है जीने का है जीने का 

यहाँ मानवी जीवन मूल्य ( Human Life Value HLV ) का मतलब जानना जरुरी है 

मानवी जीवन मूल्य - एक सरल भाषा में इसका वर्णन करना चाहेंगे तो, 
इन्सान आज से लेकर उसकी  पूरी जिंदगी में अंदाज से जितनी धनराशी कमा  सकेगा 
इसी धनराशी को  उसका मानवी जीवन मूल्य कहा जा सकता है. 

दोस्तों मैंने एक कोशिश की है  आपको 4-C कंसेप्ट समझाने की . इसे आप बार बार पढ़े . और अपना खुद का  क्लाएंट से बात करने का एक तरीका बनाए . 
यदि आप ये कंसेप्ट क्लाएंट को ठीक से समझा पाए तो न केवल वह आप से इन्सुरंस कराएगा बल्कि आपकी प्रसंशा भी करेगा और धन्यवाद् प्रकट करेगा.

आपको ये लेख कैसा लगा .

आपकी प्रतिक्रिया जरुर दे.

धन्यवाद् ,
आपका विकास अधिकारी 
अशोक सोनकुसले 

3 comments:

  1. बहोतही बढीचा और सरलतासे और पिक्चर्स के माध्यम से आपने समजाया..Great Sir

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  2. Sir, Goodmorning. Excellent effort by you for easy understanding to explain about 4C concept. Sir it would be much more useful for us if you can provide this in a downloadable format so that we can print it and make color bound which can be shown to prospects.Ramligeshwara Rao. This is very good. Please provide provision for conversion of content into multi languages like earlier blog. Also please provide plan combination whenever any thing published like Dinandin sanchay yojanaLIC AGENT 64Y Secunderabad

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