मै हूँ मानव
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विचारों का बहता दरिया हूँ मैं
भावनाओं का प्रचंड तूफान हूँ मैं
प्राणियों में सबसे महान हूँ मैं
पर ताकत से अपनी अनजान हूँ मैं
मैंने ही हिमालय का गरूर तोडा है
मैंने ही धरती को चन्द्रमा से जोड़ा है
मैंने ही तोडा है महासागरों का गौरव
और भूमि का गर्भ भी मैंने ही टटोला है
मुश्किल मेरे लिए कुछ भी नहीं है
अगर जिंदगी है सवाल तो, हर सवाल का जवाब हू मैं
पर ताकत से अपनी अनजान हूँ मैं
अशोक सोनकुसले
विकास अधिकारी
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